Type 2 diabetes में शरीर के इन अंगों को होता है नुकसान
Diabetes: टाइप-2 डायबिटीज में शरीर के इन अंगों को होता है नुकसान, पढ़ें यह खबर
Type 2 diabetes: टाइप-2 डायबिटीज एक खतरनाक बीमारी है, जिससे शरीर धीरे-धीरे खोखला होने लगता है. इसलिए इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है।
Type 2 diabetes: आधुनिक समय में लोग डायबिटीज से ज्यादा पीड़ित हो रहे हैं. जिसमें से टाइप-2 डायबिटीज एक बहुत ही खतरनाक बीमारी है, जो मानव शरीर को बुरी तरह नुकसान पहुंचाती है। डॉक्टरों का कहना है कि डायबिटीज की बीमारी में अगर ब्लड शुगर को कंट्रोल में नहीं रखा जाए तो धीरे-धीरे इंसान मौत के करीब पहुंच जाता है।
आपको बता दें कि डायबिटीज होने पर ब्लड शुगर को कंट्रोल कर इससे बचा जा सकता है। आज हम आपको शरीर के पांच ऐसे अंगों के बारे में बताएंगे जिन पर Type 2 diabetes सबसे ज्यादा और सबसे पहले असर करता है।
टाइप-2 डायबिटीज में कौन से अंग सबसे पहले खराब होते हैं?
1. तंत्रिका तंत्र
Type 2 diabetes होने पर सबसे पहले हमारे नर्वस सिस्टम पर असर पड़ता है। इसमें नसों के डैमेज होने से डायबिटिक न्यूरोपैथी का खतरा काफी बढ़ जाता है। इससे हाथ पैरों में कंपन जैसा महसूस होने लगता है। हाथ-पैर सुन्न होने लगते हैं और झुनझुनी भी महसूस होने लगती है।
2. आंखें
Type 2 diabetes का हमारी आंखों पर भी बहुत बुरा असर पड़ता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि टाइप-2 डायबिटीज हमारी आंखों की छोटी रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करता है। जिससे धीरे-धीरे आंखों की रोशनी धुंधली होने लगती है। समय रहते ध्यान न देने पर व्यक्ति अंधा भी हो सकता है।
3. हृदय
टाइप-2 डायबिटीज में हाई ब्लड शुगर हृदय को नियंत्रित करने वाली रक्त वाहिकाओं और तंत्रिकाओं को भी नुकसान पहुंचाता है। इन रक्त वाहिकाओं और तंत्रिकाओं के क्षतिग्रस्त होने से हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है। इससे स्ट्रोक जैसी समस्या होने की भी संभावना हो सकती है।
4. गुर्दा
अगर शरीर में ग्लूकोज का स्तर ज्यादा हो जाए तो हमारी किडनी की रक्त वाहिकाएं भी क्षतिग्रस्त हो सकती हैं। जिससे हम किडनी से संबंधित बीमारियों के शिकार हो सकते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि मोटापा, धूम्रपान, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और अनियंत्रित मधुमेह व्यक्ति की किडनी को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
5 फुट
शरीर की रक्त वाहिकाओं और तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचने के कारण मधुमेह के रोगियों में पैर के अल्सर का खतरा बढ़ जाता है। इसके चलते कई मामलों में मरीज का पैर भी काटना पड़ सकता है। जिसमें पैर में लगी चोट आसानी से ठीक नहीं होती है।