योगा के प्रकार 1. राज योगा समाधि, योग के अंतिम चरण को राज योग कहा जाता है।
2. ज्ञान योगा – ज्ञान योग को बुद्धि का मार्ग माना जाता है। इससे मन का अन्धकार यानि अज्ञान दूर होता है।
3. कर्म योगा – हम इस श्लोक के माध्यम से कर्म योग को समझते हैं कि योग कर्मो किशलयम का अर्थ कर्म में लीन होना है। अर्थात कर्म ही योग है
4. भक्ति योगा – भक्ति का अर्थ है दिव्य प्रेम और योग का अर्थ है एकजुट होना। यह समर्पण की भावना पैदा करता है और वफादारी बढ़ाता है।